धूप छांव है ज़िंदगी
जो न हो गर्मियों का मौसम तो
सर्दियों का लुत्फ नहीं आएगा
देख लो आज़मा कर बिना विरह के
मिलन का वो मज़ा भी न आएगा।।
जीत का मज़ा ही कुछ और होता है
हार का स्वाद चखा हो अगर
मंज़िल पर पहुंचने की खुशी बढ़ जाती है
जो कठिन हो मंज़िल की डगर।।
मंज़िल तो मिल ही जाती है हमें
जो दिल में हो उसे पाने की अगन
आज हारा है कल जीत भी जायेगा
लेकिन कभी छूटे न, तुम्हारी ये लगन।।
धूप में तपने वाला ही सही से
जानता है छांव की कीमत
नसीब नहीं होता जिसे भोजन भरपेट
वही जानता है रोटी की कीमत।।
जिसने न देखे हो गम ज़िंदगी में
वो खुशियों की कीमत नहीं समझता
झेले है दर्द जिसने उम्रभर वो
छोटी खुशी की कीमत भी है समझता।।
पास होता है हमारे सबकुछ जब
हमें वक्त की कोई फिक्र नहीं
जानता है वक्त की कीमत वही
जिसके पास वक्त होता नहीं।।
मिलता है जब सच्चा प्यार
तब उसकी कद्र नहीं करता
धोखा खाता है जब खुद वो
उसपर विश्वास नहीं करता।।
मिले हो दर्द ही हमेशा जिसे
उसके लिए दर्द भी कोई सज़ा नहीं
मिला न हो दुख दर्द जीवन में अगर
मिलता खुशियों में भी वो मज़ा नहीं ।।