धूप के सफर में
थोङी दूर साथ तो चल,इस धूप के सफर में।
शाखें आयेगी निकल,दिल के सूखे शजर में।
बहुत हुई है मीठी बाते ,चाँद के साये तले ,
दिख जायेगा रंग नया , सुबह नई सहर में।
मरना है आपको तो इशक कीजिये जनाब
असर कहाँ कोई अब किसी दूसरे ज़हर में।
नज़र न लगे जब, कोई बस जाये नज़र में
डूब न जाये कोई अब फिर ग़म ए दहर में।
बंदगी किसी शख्स की इबादत से म नही
रहता है खुदा यारो ,खुदा के हर बशर में।
सुरिंदर कौर