Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2022 · 3 min read

धुलेंडी

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️

आज बिरज में होरी रे रसिया…..

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बरसाने की लड्डू होली बरसाने के श्रीजी मंदिर में देखने को मिलेगी- श्रीजी राधारानी का एक भव्य मंदिर हैं-यहाँ पर भक्तों के ऊपर लड्डुओं की बरसात कर दी जाती हैं,एक-दूसरे के ऊपर लड्डू उछाले जाते हैं,सभी भक्तों में उन लड्डुओं को पकड़ने की होड़ लगी रहती हैं। कोई इन्हें पकड़कर अपने झोली में डाल लेता हैं तो कोई इन्हें उसी समय भगवान का प्रसाद समझकर खा जाता हैं…,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बरसाने की लट्ठमार होली विश्वभर में प्रसिद्ध हैं-यह बरसाने की संकरी गलियों में खेली जाती हैं। दरअसल द्वापर युग में जब कान्हा नंदगांव में रहा करते थे तब वहां के कई पुरुष बरसाने की महिलाओं के साथ होली खेलने जाया करते थे। तब वहां की महिलाएं उन पर लट्ठ से वार करती थी और भगा देती थी। इन पुरुषों को हुरियारे कहा जाता था।तब से बरसाने की लट्ठमार होली प्रसिद्ध हो गयी। इसमें नंदगांव से हुरियारे भाग लेते हैं तो बरसाने की महिलाएं। महिलाओं के हाथों में बांस के बड़े-बड़े लट्ठ होते हैं जिन्हें वे पुरुषों इसके बाद आता हैं मुख्य रंगों के त्यौहार का आधिकारिक आयोजन। श्रीकृष्ण का सबसे मुख्य और प्रसिद्ध मंदिर हैं वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर। रंगभरनी एकादशी के दिन यहाँ मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं जिसे देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँच जाते हैं।

इस दिन रंगों का जो गुब्बार उठता हैं वह देखते ही आँखें चौंधियां जाती हैं। चारों ओर से विभिन्न रंगों के बादल ही बादल नज़र आते हैं। आप इस दिन कुछ भी करके स्वयं को रंगों से बचा ही नही सकते। आपका शरीर एक नही बल्कि कई रंगों से सराबोर हो जायेगा, कुछ ऐसी ही होली इस दिन खेली जाती हैं।पर बरसाती हैं तो वही पुरुषों के पास इन लट्ठों के वार से बचने के लिए ढाल होती हैं जिससे वे अपना बचाव करते हैं।

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की
जिस दिन बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती हैं उसी के अगले दिन नंदगांव में भी लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता हैं। अब इसमें नंदगांव की महिलाएं भाग लेती हैं तो बरसाने के पुरुष हुरियारे बनकर। अब नंदगांव की महिलाएं लट्ठ बरसाती हैं तो बरसाने के पुरुष उससे स्वयं को बचाते हुए नज़र आते हैं…,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की
बरसाने और नंदगांव में तो लट्ठमार होली खेली जाती हैं क्योंकि तब तक कान्हा थोड़े बड़े हो चुके थे लेकिन जब वे छोटे थे तो गोकुल में होली खेलने जाया करते थे। तब लट्ठों की मार से कान्हा को चोट लग सकती थी। इसलिये वहां की महिलाएं छड़ी से कान्हा को पीटा करती थी और भगाती थी। बस तभी से गोकुल की छड़ीमार होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं।

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की वृंदावन में फूलों की होली भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यह ज्यादातर सभी मंदिरों में बड़ी ही धूमधाम के साथ खेली जाती हैं। इसमें मंदिर के चारों और से भक्तों के ऊपर पुष्प वर्षा की जाती हैं। फूलों की होली तो आजकल देश के विभिन्न भागों में बड़े ही उत्साह के साथ खेली जाती हैं। जिन्हें रंगों से किसी तरह की एलर्जी या समस्या हैं तो वे फूलों से ही होली खेलना पसंद करते हैं।

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की
इसके बाद आता हैं मुख्य रंगों के त्यौहार का आधिकारिक आयोजन- श्रीकृष्ण का सबसे मुख्य और प्रसिद्ध मंदिर हैं वृन्दावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर। रंगभरनी एकादशी के दिन यहाँ मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं जिसे देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँच जाते हैं।

इस दिन रंगों का जो गुब्बार उठता हैं वह देखते ही आँखें चौंधियां जाती हैं। चारों ओर से विभिन्न रंगों के बादल ही बादल नज़र आते हैं। आप इस दिन कुछ भी करके

आखिर में एक ही बात समझ आई की त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है। धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाते हैं।

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹

आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

Language: Hindi
Tag: लेख
146 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...