धुम्रपान निषेध मुक्तक
नशे को छोड़ दो भाई नशे ने जग हिलाया है।
नशे को आज मानव ने यहाँ भोजन बनाया है।
नशा बीमार करके ही सदा संहार करता है।
नशे में जो फसा उसने यहाँ सब कुछ गँवाया है।
नशे में छूट जाता है यहाँ घरद्वार भी अपना।
नशे में टूटता रिश्ता यहाँ हर बार है अपना।
नशे का हाल तुम पूछो पड़े जो अस्पतालों में
बिकी दौलत सभी उनकी नही उपचार है अपना।
अदम्य