धुन में रहता हूँ
**** धुन में रहता हूँ ****
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अपनी धुन में रहता हूँ
रहूँ मैं सदा सहता हूँ
मुझे कोई भी कुछ कहे
किसी को कुछ न कहता हूँ
मस्त हूँ अपनी मस्ती में
सदा ही मुस्कराता हूँ
विपदा कितनी हो भारी
संयम सदैव दिखाता हूँ
रंज का पहाड़ हो छाया
कभी नहीं घबराता हूँ
कहना हो जो झट कह दूँ
तनिक भी ना शर्माता हूँ
डगर कितनी भी हो कठिन
पथ पर चलता रहता हूँ
न करूं फिक्र जमाने की
जमाना संग चलाता हूँ
सुखविंद्र कितने झमेले
झंझट पल में उड़ाता हूँ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)