धुन- आने से उसके आये बहार
धुन- आने से उसके आये बहार
बेटी पे करें नर अत्याचार, गर्भ में बेटी को देते मार
क्यों नही पाल रहे, नर आज सुता।
ऐसे क्यों मार रहे, नर आज सुता।
देखो इस जहाँ में, भर रही आज बेटी सिसकियाँ।
आबरू लूटते नर , मर रही आज देखो ये बिटियाँ।
कैसे बचे, ये बिटियाँ, खुद नर ही मार रहे अब आज सुता।
क्यों नही पाल रहे, नर आज सुता।
________________________
बेटियां न होंगी, सुत रह जाएंगे, सब कंवारा।
बिना नारी न सृष्टि चलेगी, वंश बढ़ न सकेगा तुम्हारा।
बेटी से वंश बढ़े, फिर भी है मार रहे, नर आज सुता।
क्यों नही पाल रहे, नर आज सुता।
_________________________
जन्मती हैं जिस घर, धन्य हो जाता है घर उसी का।
पाप धुल जाते हैं सारे नर के, जीवन धन्य हो जा उसी का।
वंश बढ़े उससे ही, फिर भी बोझ लगे, क्यों आज सुता।
क्यों नही पाल रहे, नर आज सुता।
____________________________
तू सुधर जा इंसा, क्यों कर रहा पाप जहाँ में।
लेखा जोखा होगा, तेरा जीवन के अंतिम समय में।
कुछ तो अब, सोंच जरा, तू जीवन नर्क करे क्यों मारे सुता।
क्यों नही पाल रहे, नर आज सुता।
अभिनव मिश्र”अदम्य”