धुंधली छाया,
कुछ धुंधली सी छाया,
आँखों में बस्ती हैI
मिलने को जिसे ,
एक टीस-सी हिवड़े में बस्ती है I
ये कभी स्परष्ट नहीं हुई I
पर हर मुश्किल घडी में ,
एक उम्मीद दे गईI
जब भी कमजोरी ने घेरा ,
ये मुझे हिम्मत दे गई I
कोई धुंधली सी छाया …
समझ नहीं पाई हूँ ,
ये किसका है साया??
जो बेबसी से मुझको ,
बाहर खींच लाया II