धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
सांसे फूली _ फूली फिर भी जीत रही है ।।
सर्दी _ गर्मी बरसात _ लाती है ,
कुछ न कुछ_मार अपने साथ ।
यही तो कुदरत की रीत रही है ।।
राजेश व्यास “अनुनय”
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
सांसे फूली _ फूली फिर भी जीत रही है ।।
सर्दी _ गर्मी बरसात _ लाती है ,
कुछ न कुछ_मार अपने साथ ।
यही तो कुदरत की रीत रही है ।।
राजेश व्यास “अनुनय”