धीरे-धीरे उछलो यार
अंतराणविक बल कम होगा बनकर बर्फ न पिघलो यार
भाप के जैसे उड़ जाओगे इतना भी मत उबलो यार
झूठ पकड़ में आ जायेगा जब भी तुम सच बोलोगे
फुँफकारो अंदर लेकिन मत आस्तीन से निकलो यार
आदत है गिर पड़ने की मदिरा तो मात्र बहाना है
बिन पिए पड़े हो नाली में अब पीकर के तो सँभलो यार
चापलूस हैं मगर हकीकत जान रहे हैं सारे लोग
खूब बनाओ बातें लेकिन गिरेबान तो ढँक लो यार
ऊपर है आकाश शीश पर कुछ तो इसका ध्यान रखो
मत मारो टक्कर सूरज को धीरे-धीरे उछलो यार
हो धनाढ्य तुम कृपा राम की मत बनवाओ बीपीएल
आहें तुम्हें जला डालेंगी मत गरीब का हक लो यार
जब आयेगा वक्त़ हमारा पर हम भी फैलायेंगे
आसमान में नहीं अभी हम जितना चाहे उड़ लो यार
बोलेंगे अल्फाज हमारे गीत गजल की दुनिया में
मगर सुनेंगे आज तुम्हारी जो कहना है कह लो यार