धीरे देश चला रे पगले
धीरे देश चला रे पगले देश मेरा यह बच्चा है।
जल्दी बाज़ी मत कर लाला रोड बना यह कच्चा है।
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माना आया तू आगे है ठोस इरादा लेकर के।
जाना चाहता इस दुनिया को कुछ न कुछ तो देकर के।
इसमें कोई सुबहा नही तेरा इरादा सच्चा है।
धीरे देश चला…….1
सडक दिखाई देती तुझको बनी हुई मजबूत यहाँ।
पर तुझको मालूम नही उखड़ी पड़ी यह कहाँ कहाँ।
आगे जाकर तू पायेगा संकरा रास्ता कच्चा है।
धीरे देश …..
……
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बड़े बड़े बलशालियो ने जो अतिक्रमण कर रखे है।
जाति धर्म के स्पीड ब्रेकर भी जगह जगह धर रखे है।
दीखता यहाँ सीधा बन्दा अंदर से पर टुच्चा है।
धीरे देश चला…..
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भ्रष्टाचार के टोल मिलेगे थोड़ी थोड़ी दूरी पर।
रिश्वतखोरी पनप रही है छोटी सी मजबूरी पर।
करना फिर भी तुझे पड़ेगा काम यहाँ पर अच्चा है।
धीरे देश….
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तेरे घोर विरोधी भी तो रोड़ा बनकर आयेंगे।
बात बात पर तेरे आगे सारे तनकर आयेंगे।
तुझे सम्भलकर चलना होगा खा मत जाना गच्चा है।
धीरे देश…
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धीरे देश चला रे पगले…….
अभी सिरफिरा तुझको कहते जो भी तुझसे हारे है।
नही समझते चुनाव रीति को देते दोष बिचारे है।
अब इनको दिखलादे लाला इन सबका तू चच्चा है।
धीरे देश…..6
जल्दी आखिर क्यों करता है तुझे कहाँ पर जाना है।
फूंक फूंक कर सम्भल सम्भल कर तुझको कदम जमाना है।
होना पास जरुरी तेरा चाहे कठिन परीच्छा है। 7
****** मधु गौतम