“धीरज”
धीरज मोटी बात है,धीरज धरना सीख
बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख
मांगे मिले ना भीख,यही जीवन की शिक्षा
समय समय पर,होती धीरज की परीक्षा
होती धीरज की परीक्षा,वही अव्वल होता
विषम परिस्थिति मैं, जों धीरज ना खोता
जों धीरज ना खोता,उसकी उन्नति होती
हर जगह जय जयकार, है उसकी होती
है उसकी होती जयकार हरदम”राणाजी”
आंनद बरसता जीवन में उसके घणाजी
©ठाकुर प्रतापसिंह राणा
सनावद (मध्यप्रदेश )