धार्मिकता और सांप्रदायिकता / MUSAFIR BAITHA
धार्मिकता साम्प्रदायिकता की जननी है।
धार्मिक होने के रास्ते से ही सांप्रदायिक होने का रास्ता भी खुलता है।
यूपी में अखलाक की हत्या का नेतृत्व उसके हिंदू जिगरी दोस्त ने किया था। दोनों धार्मिक थे, और, एक दूसरे के धर्म से जुड़े त्योहारों और अन्य मौकों पर एक दूसरे के घर जाते थे, खाते पीते थे।
लेकिन, जब अखलाक के घर में गौमांस पकने की अफवाह फैली और मंदिर से लाउड स्पीकर से उसके घर धावा करने का ऐलान हुआ तो उन्मादी हिंदू भीड़ में सबसे आगे उसका हिंदू दोस्त था, जो उसका मुख्य हत्यारा बना।
धार्मिकता से ही सांप्रदायिकता का रास्ता खुलता है, क्योंकि हर धार्मिक आदमी कम या ज्यादा संकीर्ण होता है, और, संकीर्ण होने से वह सांप्रदायिक होता है, सांप्रदायिकता उसकी कभी प्रकट होती है तो कभी प्रच्छन्न।