*धाम अयोध्या का करूॅं, सदा हृदय से ध्यान (नौ दोहे)*
धाम अयोध्या का करूॅं, सदा हृदय से ध्यान (नौ दोहे)
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1)
धाम अयोध्या का करूॅं, सदा हृदय से ध्यान
श्याम वर्ण भाता रहे, मनमोहक मुस्कान
2)
नेत्रों में तुम बस गए, रामलला अभिराम
अंतर्मन से देखता, सुंदर मूरत श्याम
3)
धाम अयोध्या में बसे, बाल-रूप भगवान
दशरथ नंदन की सदा, देखूॅं मधु मुस्कान
4)
रामलला मन में रहे, सदा आपका चित्र
देह अयोध्या धाम हो, गतिमय श्वास पवित्र
5)
मंद-मंद मुस्कान है, जिनके नेत्र विशाल
रामलला रखिए सदा, सकल विश्व का ख्याल
6)
पूर्ण ब्रह्म अवतार हे, दशरथनंदन राम
कृपा दास पर कीजिए, करिए मन निष्काम
7)
हृदय सदा गाता रहे, राम राम जय राम
करता है शुचि-भावना, प्रभो तुम्हारा नाम
8)
बाल-रूप में राम-प्रभु, मन में रहिए आप
कट जाऍंगे इस तरह, जन्म-जन्म के ताप
9)
वर बस इतना दीजिए, रामलला अभिराम
कभी न बिछड़े आपसे, तीर्थ अयोध्या धाम
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451