धर्म या धन्धा ?
आजकल इंसान
धर्म में फैले
पाखंड के पीछे
बहुत अंधा है ,
इसीलिए तो
उसे धर्म के नाम पर मूर्ख बनाना
एक अच्छा धंधा है ।
जिन्हें धर्म लगता है
कमाई का ज़रिया
वो अब नई-नई दुकानें
सजा रहे हैं ।
और भगवान का झूठा डर दिखाकर
लोगों को मूर्ख बना रहे है ।
क्या वाक़ई में भगवान, तुम्हारे-
भोजन का भूखा है
या उसे धन की अभिलाषा है ?
नहीं, ये तो ईश्वर को
कठपुतली बनाकर
किया गया महज़ एक तमाशा है ?
— सूर्या