धर्म क्या है ?
विषय – धर्म
धर्म क्या है ?
धर्म कोई पंथ नहीं,
धर्म कोई संत नहीं ।
धर्म की ना शुरूआत है,
धर्म का कोई अंत नहीं ।।
धर्म क्या है ?
धर्म मनोकामना पूर्ति के लिए
मंदिरों में किया गया दान नहीं,
धर्म के आगे सब नतमस्तक
धर्म से बढ़कर कोई महान नहीं ।
धर्म क्या है ?
प्राणियों पे क्षमा करना,
पशुओं पे दया करना ।
मानव होकर दया व
क्षमा का भाव धरना ।
धर्म क्या है ?
धर्म है अपने आपको
मानव सिद्ध करना,
ना कि केवल दिखावा कर
अपने नाम को प्रसिद्ध करना ।।
धर्म क्या है ?
धर्म वो है जो नाश करदे
मानव की दानवता
‘नवीन’ की नजर में है
एक ही धर्म केवल “मानवता”
– नवीन कुमार जैन