Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2018 · 2 min read

धर्म का स्वरूप

भारत ! भारत सभ्यता और संस्कृति का आधार स्तम्भ है ।इसके कण-कण में विद्यमान है अपार उर्जा का स्रोत,जो चरित्र में नित पावनता उत्पन्न कर कर्तब्यों का बोध कराते हुए आदर्श प्रस्तुत करते है।माता और संतान से सम्बंधो की व्याप्त भावनाएं यहां की मिट्टी को पवित्र एंव पूजनीय बना देती हैं । यहां का आम जन मानस सहिष्णु ,आदर्शवादी और कर्मयोगी है,अर्थात् कर्म को ही अपना धर्म मानता है।
धर्म का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। इसको लेकर लोगों के सोचने का दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकता है ; वैसे यह विषय आस्था,श्रद्धा और भावनाओं का है परन्तु वर्तमान में इसका बाजारीकरण हो गया है । लोगों की आस्था में श्रद्धा कम किन्तु दिखावे की आस्था अवश्य परिलक्षित होती हुई प्रतीत होती है।
ऐसा नही है कि लोग कर्म नही करते, करते है किन्तु उनके कर्म में उनका अपना तर्क या स्वार्थ निहित होता है । आज धर्म ने अपनाआकार,रूप-रंग,भाषा,परम्परा आदि को जनमानस के अनुसार बना लिया है ; सभी के अपने-अपने नाम भी है,जो एक दूसरे को एक दूसरे से पृथक करते हैं और यही पृथकता मन में कलुषता उत्पन्न करती है। अतः क्यों न हम सत्कर्म को ही अपना धर्म रहने दें जो नाम ,भाषा, रूप-रंग , आकार एंव परम्पराओं से एक हो। धर्म का रूप कर्म हो,धर्म की परम्परा सद्भावना हो और धर्म की इच्छा में विश्व कल्याण की भावना निहित हो ।
सच्चे धर्म की पराकाष्ठा व्यक्ति को पीड़ा जरूर दे सकती है पर आत्मसंतुष्टि बहुतायत देती है और यही आत्मसंतुष्टि व्यक्ति के सुखमय जीवन का आधार है। व्यक्ति इसी सुख के लिए जीवन भर भटकता है,तरह-तरह के श्वांग रचता है,झूठ बोलता है और भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर नश्वर सुख का सृजन करता है तथा इसी सुख को वाह्य आडम्बरो से अलंकृल कर उसे चिरस्थाई
बनाने के प्रयास में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा देता है परन्तु निर्वाण के समय मस्तिष्क में आत्मज्ञान का प्रकाश फैलता है तथा उचित अनुचित कर्म का दृश्य किसी चलचित्र की भांति सम्मुख प्रस्तुत हो रहा होता है । ———-?
——————–?पंकज कुमार पाण्डेय?
03/10/2018

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 665 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
आप सभी को ईद उल अजहा मुबारक हो 🌹💖
आप सभी को ईद उल अजहा मुबारक हो 🌹💖
Neelofar Khan
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रेम क्या है...
प्रेम क्या है...
हिमांशु Kulshrestha
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
आध्यात्मिक शक्ति व नैतिक मूल्यों से ध्यान से मानसिक शांति मि
Shashi kala vyas
क्यों हादसों  से खौफज़दा हो
क्यों हादसों से खौफज़दा हो
Chitra Bisht
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
जिनके बिन घर सूना सूना दिखता है।
सत्य कुमार प्रेमी
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
सांत्वना
सांत्वना
भरत कुमार सोलंकी
गुरु को नमन
गुरु को नमन
पूर्वार्थ
प्रकृति और मानव
प्रकृति और मानव
Kumud Srivastava
कुछ तो लॉयर हैं चंडुल
कुछ तो लॉयर हैं चंडुल
AJAY AMITABH SUMAN
Innocent love
Innocent love
Shyam Sundar Subramanian
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
Phool gufran
2950.*पूर्णिका*
2950.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जुबान
जुबान
अखिलेश 'अखिल'
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
हरि हरि के जाप ने हर लिए सारे कष्ट...
हरि हरि के जाप ने हर लिए सारे कष्ट...
Jyoti Khari
सागर ने जब जब हैं  हद तोड़ी,
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
Ashwini sharma
एक लम्हा
एक लम्हा
Dr fauzia Naseem shad
" गुजारिश "
Dr. Kishan tandon kranti
किसी काम को करते समय मजा आनी चाहिए यदि उसमे बोरियत महसूस हुई
किसी काम को करते समय मजा आनी चाहिए यदि उसमे बोरियत महसूस हुई
Rj Anand Prajapati
कौन कितने पानी में है? इस पर समय देने के बजाय मैं क्या कर रह
कौन कितने पानी में है? इस पर समय देने के बजाय मैं क्या कर रह
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ईमानदार  बनना
ईमानदार बनना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
डॉक्टर रागिनी
Loading...