धर्म का पाखंड
धर्म का पाखंड
बाबा बोलें रोज़ नई बातें,वेद-पुराण का हर पन्ना झूठा,
कहते हैं जो, वही सत्य माने,उनके हिसाब से ही हो सच्चा।।
कभी शिव का वर्णन करते हैं,कभी विष्णु की महिमा गाते हैं,
हर बाबा की अपनी कथा है,हर बात में वो उलझाते हैं।।
वेदों को अपनी तरह मोड़ते,कथाओं में कल्पना जोड़ते,
कभी हिंदू, कभी सनातनी,धर्म को ही खेल समझते।।
गुरुओं के ये नाम बड़े,पर कर्मों में बस धोखा खड़े,
धर्म की आड़ में पाखंड रचाते,सच्चाई से सब दूर भटकाते।।
ज्यादा साधु से मठ खराब,कहावत सच, दिखता जवाब,
धर्म के नाम पर चल रही,पाखंड की ये गैंग खराब।।
भगवान के नाम पर झूठ फैलाते,शास्त्रों को भी ये बदलवाते,
समझें जो सच्चाई की राह,वो ही पाएगा सच्चा भगवान।।