Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2023 · 2 min read

धर्म और विडम्बना

कुछ लोग इकट्ठा
बस, रेल, कार में नित्य सफर करते हैं,
विभिन्न जातियों से संबद्ध रखने वाले व्यक्तित्व,
होते है,
मगर कोई जाति विशेष के लिए नहीं,
धर्मांधता जरूर झलक देती है,
ये हिंदू हिंदुत्व सनातन शाश्वत सत्य
क्या है ।
किन्हें कहते हैं ।
हम में से
शायद कोई है.
जो इस व्यवासायिक युग में भी,
रघुकुल रीति से अपना उल्लू सीधा कर रहे है,
इन्होंने सनातन /शाश्वत सत्य को नये ढंग से परिभाषित कर लिया है ।
अपना व्यवसाय जिंदा रखना है तो,
जातियों में बंटे हुआ समाज,
जिंदा रखना है,,
इसके साथ साथ संगठित न होने देना,
फूट डाल डाल कर ही,
समाज में समरसता बरकरार रखी जा सकती है,
.
इस विषय के समर्थक हार मान लेते हैं,
क्योंकि अमानवीय कर्मकांड /पाखंड /अंधविश्वास के सहारे,, इतना लंबा सफर,
इसलिये गुजर गया,
क्योंकि देश का इतिहास गुलामी का रहा है ।
ऐसे में प्रश्न ये उठता है,
कौन से वर्ण के लोग हैं,
जो रोटी बेटी के रिश्ते रखते थे,
उनके यहां कैसी गुलामी,
कैसा मातम,
.
गुलाम कौन रहे,
और
उनकी झटपटाहट
जायज है.
जिंदा रहने के लिए,
सभी धार्मिक आस्तिक नास्तिक लोगों की जरूरत है,
एक विशेष समुदाय ने कर्मकांड की उत्पत्ति करके
खुद को स्व – श्रेष्ठ घोषित कर लिया,
एक नया चलन चल पड़ा,
मनोबल /आत्मविश्वास क्षीण करके,
कारण प्रारब्ध कह कर पिण्ड छुड़ा लिया.
स्वर्ग नरक का लोभ दिखा कर,
योजनाओं प्रबंधन को नियमित किया गया,
हुनरमंद स्व रोजगार प्राप्त लोग
समाज का एक कमेरा-वर्ग.
जिन्हें सेवक कह कर,
सबकुछ हड़फ लिया गया,
उनके पास संपदा के नाम सिर्फ़ कला रह गई,
जितनी भी जमीन जायदाद धन संपदा,
भौतिक वस्तुएं उनके नाम पर है,
.
सब मौन होकर सुन रहे थे,
तभी बात मुस्लिम धर्म पर आ गई,
हम में से कोई आदमी,
उनके विषय में अल्फ़ बे तक नहीं जानते,
मुझे सिर्फ़ इतना मालूम हैं,
वे देश के अल्प-संख्यक लोग है.
मस्जिद उनके धार्मिक स्थल का नाम है,
वे पांच समय की नवाज अदा करते है,
हिन्दुत्व की आड़ में
उन पर जायजादती भी वो लोग कर रहें है,
जो उस बंटवारे के पक्ष में थे,
आज वे बंटवारे का विरोध अग्रणी तरीके से कर रहे हैं

Language: Hindi
1 Like · 527 Views
Books from Mahender Singh
View all

You may also like these posts

ये कैसे रिश्ते है
ये कैसे रिश्ते है
shabina. Naaz
सेवा का महिमा
सेवा का महिमा
Mukund Patil
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
Ashwini sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आदमी और मच्छर
आदमी और मच्छर
Kanchan Khanna
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
शिव सावन
शिव सावन
Rambali Mishra
नही दूसरी चूक
नही दूसरी चूक
RAMESH SHARMA
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Raju Gajbhiye
" একে আমি বুকে রেখে ছী "
DrLakshman Jha Parimal
एक पल में ये अशोक बन जाता है
एक पल में ये अशोक बन जाता है
ruby kumari
3425⚘ *पूर्णिका* ⚘
3425⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सुनो मैं बदलना चाहती हूं
सुनो मैं बदलना चाहती हूं
Jyoti Roshni
51…..Muzare.a musamman aKHrab:: maf'uul faa'ilaatun maf'uul
51…..Muzare.a musamman aKHrab:: maf'uul faa'ilaatun maf'uul
sushil yadav
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विदाई गीत
विदाई गीत
Dr Archana Gupta
GM
GM
*प्रणय*
ख़ुद के होते हुए भी
ख़ुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
तुझसे मिलती हूँ जब कोई बंदिश नही रहती,
तुझसे मिलती हूँ जब कोई बंदिश नही रहती,
Vaishaligoel
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
जीवन से अज्ञानता का अंधेरा मिटाते हैं
Trishika S Dhara
भगवान की पूजा करने से
भगवान की पूजा करने से
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोस्त न बन सकी
दोस्त न बन सकी
Satish Srijan
"दरअसल"
Dr. Kishan tandon kranti
मनुष्य और प्रकृति
मनुष्य और प्रकृति
Sanjay ' शून्य'
*लता (बाल कविता)*
*लता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
प्यार का रिश्ता, जन्म का रिश्ता
प्यार का रिश्ता, जन्म का रिश्ता
Surinder blackpen
दिल से हंसे
दिल से हंसे
manjula chauhan
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
पूर्वार्थ
दुनिया बदल सकता है -
दुनिया बदल सकता है -
bharat gehlot
Loading...