Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Dec 2022 · 4 min read

*धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन*

धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन
_________________________
ठिगना कद, गेहुॅंआ रंग, खुरदुरा चेहरा, दुबला-पतला शरीर, आवाज में करारेपन के साथ सुकोमलता का अद्भुत सम्मिश्रण, सदैव धोती-कुर्ता धारण किए रहने वाले श्री किशोरी लाल चॉंदी वालों (श्री रामकिशोर चांदीवालों) का यही चित्र रह-रह कर मानस पटल पर उभरता है । 96 वर्ष की आयु में 16 दिसंबर 2022 शुक्रवार को प्रातः 4:00 बजे जब आपका निधन हुआ, तो यह एक स्वस्थ, सुखमय तथा नितांत शांत स्वभाव के साथ परोपकारी जीवन जीने वाले एक महापुरुष का महाप्रयाण था । जीवेम् शरद: शतम् अर्थात सौ वर्ष जीवित रहने की जो कामना भारतीय मनीषा ने सनातन काल से की है, वह उस आकांक्षा के चरितार्थ होने की जीती जागती प्रतिमूर्ति थे । अंत तक स्वस्थ तन और मन के साथ वह जीवन जीते रहे। न किसी से बैर, न कोई कटुता, न मानस में कोई तनाव । सदैव प्रफुल्लित हृदय और उदार चेतना के साथ उनकी जीवन-यात्रा चलती रही।
उनकी दुकान मेरी दुकान के ठीक सामने थी । अतः प्रतिदिन उनके दर्शन हो जाते थे। वह पैदल आते थे और पैदल जाते थे । निवास भी दुकान के पास ही कूॅंचा परमेश्वरी दास, बाजार सर्राफा, निकट मिस्टन गंज, रामपुर में था । अंतिम वर्षों में भी वह स्कूटर पर पीछे बैठकर दुकान से घर जाते हुए दिखते थे । देखने वाले भले ही उन्हें देखकर आशंकित हो उठते कि पता नहीं यह सही-सलामत घर तक पहुंचेंगे अथवा नहीं, लेकिन किशोरी लाल जी पूरे आश्वस्त भाव से स्कूटर के पीछे बैठते थे और मजाल क्या कि कभी एक बार भी स्कूटर से गिरे हों। उन्हें अपने आप पर दृढ़ विश्वास था । अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति यह उनकी आस्था अपने आप में एक प्रेरणा का बड़ा विषय है ।
वह अंत तक सक्रिय रहे । दो दिन पहले तक नियमानुसार अपनी सर्राफे की दुकान पर आते-जाते रहे । दिनभर बैठे और शाम को चले गए । मृत्यु से एक दिन पहले भी वह यद्यपि दुकान नहीं आए, लेकिन घर पर जीना चढ़कर धूप में कई घंटे बैठे और चेहरे पर चिर-परिचित शांतिप्रिय मुस्कान लिए हुए रात में अंतिम निद्रा में गए थे।
दोपहर एक बजे उन की शवयात्रा गॉंधी समाधि के निकट स्टेट बैंक चौराहे से आरंभ होकर बृजघाट तक गई । बृजघाट में नदी के शांत नीले जल और स्वच्छ नीले आकाश के समानांतर रूप से मिलन के साथ जब उनकी चिता को मुखाग्नि उनके बड़े पुत्र श्री श्याम गुप्ता चांदी वालों छोटे पुत्र श्री गोविंद गुप्ता की उपस्थिति में दी, तो उपस्थित सभी महानुभाव दिवंगत आत्मा की महानता के प्रति नतमस्तक थे। सबके होठों पर स्वर्गीय श्री किशोरी लाल चांदी वालों की सामाजिकता से ओतप्रोत भावना तथा उनके धर्मप्राण जीवन के प्रति श्रद्धा भाव से जुड़े हुए संस्मरणों का अपार भंडार था। पीडब्ल्यूडी विभाग से सेवानिवृत्त श्री प्रमोद कुमार शुक्ला, ग्राम विकास अधिकारी श्री शर्मा जी, सर्राफा व्यवसायी श्री गोपाल शर्मा, ज्ञानेश गुप्ता जी आदि सभी सज्जन दिवंगत आत्मा की धर्मप्रियता का बराबर स्मरण करते रहे ।
उपरोक्त चर्चाओं से यह स्वर मुखरित हुआ कि स्वर्गीय किशोरीलाल जी चांदीवाला मात्र बारह वर्ष की आयु से ही अपने पिताजी श्री राधे लाल जी के साथ कॉंवड़ लाने की अभिरुचि आरंभ कर चुके थे । यह कॉंवड़-यात्रा कार्यक्रम बारह वर्ष की आयु से जो आरंभ हुआ, वह फिर कभी नहीं टूटा । उस दौर में किशोरी लाल जी एक लाठी और एक मिट्टी के तेल वाली लालटेन लेकर कॉंवड़ लेने जाते थे । कई बार रास्ता गड़बड़ा जाता था। पुनः लौटना पड़ता था । न सड़कें अच्छी थीं, न ठहरने के पर्याप्त सुविधा युक्त स्थान थे । लेकिन हां, हृदय में श्रद्धा-भाव कूट-कूट कर भरा था । जितने लोग जाते थे, सब ईश्वर की आराधना करने के लिए ही कांवड़ लेकर लौटते थे।
किशोरी लाल जी वर्ष में दो बार कांवर लेकर जाते थे । सावन के महीने में बृजघाट जाते थे तथा वहां से कावड़ लेकर लौटते थे और रामपुर जनपद के भमरौआ मंदिर में कॉंवर चढ़ाते थे । होली के आसपास वह गोला गोकर्णनाथ की कॉंवड़-यात्रा करते थे । इन दोनों यात्राओं में उनके साथ बीस से लेकर पचास लोगों तक की टोली रहती थी । बृजघाट में वह भंडारा करते थे तथा अपनी टोली के प्रत्येक व्यक्ति के भोजन कर लेने के बाद ही भोजन ग्रहण करते थे । किसी को भोजन में कोई कमी तो नहीं रह गई है, वह इसका पर्याप्त ध्यान रखते थे। कॉंवड़-यात्रा में भी वह टोली के अंत में सबसे पीछे चलते थे। मुखिया का भाव उनके भीतर था। सबकी देखरेख करते हुए, सब का संरक्षण करते हुए चलना उनका स्वभाव था ।
यद्यपि वह व्यापार में कुशल थे तथा सारा जीवन उन्होंने दुकान पर बैठकर धन कमाने के लिए कार्य किया लेकिन उनकी मूल प्रवृत्ति ईश्वर-आराधना ही रही। रोजाना प्रातः काल वह अपने निवास के निकट स्थित पूर्वजों द्वारा स्थापित मंदिर में घंटों बैठते थे तथा मंदिर के श्रृंगार में रुचि लेते थे। सायंकाल को प्रतिदिन वह मंदिर वाली गली में स्थित पंडित दत्तराम शिवालय में जाते थे और वहां भी मंदिर के गर्भ गृह में बैठकर एक-एक फूल पत्ती से भगवान शंकर का श्रृंगार करते थे। और फिर नजर भर के देखते थे कि कोई कमी तो नहीं रह गई। तदुपरांत पुनः जैसा उन्हें उचित लगता था, श्रंगार को पूर्णता प्रदान करते थे । बस इसी क्रम में जीवन के छियानवे वर्ष बीत गए। ऐसा आह्लादमय जीवन भला किसको मिलेगा । जिन्होंने उनके साथ तीर्थयात्रा की तथा विगत पिच्चासी वर्षों में अपनी-अपनी आयु के क्रम में उनकी कॉंवरयात्रा-टोली में सहभागिता की, वह बृजघाट में उनकी स्मृतियों के अनंत सागर में डुबकियां लगाते रहे । स्वर्गीय किशोरी लाल जी चांदी वालों की स्मृति को शत-शत नमन ।
______________________
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

236 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

माँ
माँ
Dr.Archannaa Mishraa
खुद को ढाल बनाये रखो
खुद को ढाल बनाये रखो
कार्तिक नितिन शर्मा
आप मुझे महफूज
आप मुझे महफूज
RAMESH SHARMA
घर क्यों नहीं जाते
घर क्यों नहीं जाते
Shekhar Chandra Mitra
उपासना के निहितार्थ
उपासना के निहितार्थ
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
आँचल की मर्यादा🙏
आँचल की मर्यादा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस बार मुकाबला दो झुंडों के बीच है। एक के सारे चेहरे एक मुखौ
इस बार मुकाबला दो झुंडों के बीच है। एक के सारे चेहरे एक मुखौ
*प्रणय*
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
पूर्वार्थ
मेरी आँखों से जो ये बहता जल है
मेरी आँखों से जो ये बहता जल है
Meenakshi Masoom
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
SURYA PRAKASH SHARMA
आचार्या पूनम RM एस्ट्रोसेज
आचार्या पूनम RM एस्ट्रोसेज
कवि कृष्णा बेदर्दी 💔
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
Poonam Matia
सामाजिक बेचैनी का नाम है--'तेवरी' + अरुण लहरी
सामाजिक बेचैनी का नाम है--'तेवरी' + अरुण लहरी
कवि रमेशराज
फूलों की बात हमारे,
फूलों की बात हमारे,
Neeraj Agarwal
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
3726.💐 *पूर्णिका* 💐
3726.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
-मां सर्व है
-मां सर्व है
Seema gupta,Alwar
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ कहती है, सुन जरा....!
कुछ कहती है, सुन जरा....!
VEDANTA PATEL
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
Sunil Suman
राम लला
राम लला
Satyaveer vaishnav
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हमने माना अभी
हमने माना अभी
Dr fauzia Naseem shad
दिनकर तुम शांत हो
दिनकर तुम शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
कसक
कसक
ओनिका सेतिया 'अनु '
डिजिटल भारत
डिजिटल भारत
Satish Srijan
एक व्यथा
एक व्यथा
Shweta Soni
मेरा जन्मदिन आज
मेरा जन्मदिन आज
Sudhir srivastava
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
Sonam Puneet Dubey
Loading...