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29 Jun 2021 · 1 min read

धर्मपरायण – एक विचार

धर्मपरायण

धर्म को मानना और धर्मपरायण होना दो अलग-अलग
विचार हैं | धर्म के प्रति श्रद्धा, मोह एवं आस्था, धार्मिक
संस्कारों का अक्षरशः पालन करना, मानवीय एवं नैतिक
मूल्यों के साथ मानवीय संवेदनाओं को जीवंत रखना, अपने
ईश के प्रति पूर्ण श्रद्धा और आस्था, धार्मिक अनुष्ठानों के प्रति
पूर्ण समर्पण | ये सब गुण एक धर्मपरायण चरित्र में पाए जाते
हैं | एक धर्मपरायण चरित्र स्वयं के धर्म, संस्कृति व संस्कारों
का सम्मान तो करता ही है साथ ही उसके मन के कोने में |
अन्य सभी धर्मों के प्रति भी श्रद्धा व सम्मान की भावना होती है !
| ये चरित्र समाज व राष्ट्र की धरोहर होते हैं और साम्प्रदायिक
एकता व सद्धावना को स्थिरता प्रदान करते हैं | ये संस्कृति व |!
संस्कारों के सर्वश्रेष्ठ र क्षक माने जाते हैं |

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 331 Views
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