धर्मदण्ड
भारत के संस्कृति संवाहक, अडिग रहो नित निज प्रण में,
करो धर्मयुत कर्म सदा, विश्वास करो बस जन-गण में।
असुर सदा बाधक होते हैं, लेकिन मत विचलित होना,
धर्मदंड को करो प्रतिष्ठित, लोकतंत्र के प्रांगण में।।
– नवीन जोशी ‘नवल’
भारत के संस्कृति संवाहक, अडिग रहो नित निज प्रण में,
करो धर्मयुत कर्म सदा, विश्वास करो बस जन-गण में।
असुर सदा बाधक होते हैं, लेकिन मत विचलित होना,
धर्मदंड को करो प्रतिष्ठित, लोकतंत्र के प्रांगण में।।
– नवीन जोशी ‘नवल’