धरा सुंदर बना डालो
धरा सुंदर बना डालो
बचा करके वनों को तुम, घना करके दिखा डालो।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
ये सूरज चाँद ये तारे, ये धरती भी हमारी है।।
इन्हें बेहतर बनाना भी, हमारी जिम्मेदारी है।।
कि हर कोने में धरती के, कई दीपक उगा डालो।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
ये ईश्वर है ये अल्ला है, ये कुदरत है ये हरियाली।
जो अमराई जो पुरवाई, जो छाई है घटा काली।।
हमे इनकी जरूरत है, चलो इनको बचा डालो।।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
रखो खेतों की मेड़ों पर, बढ़ा कर खूब पौधों को।
सुनो अब लहलहाने दो, धरा पर खूब पौधों को।।
फलों फूलों से भरकर के, सजी बगिया लगा डालो।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
सघन उपवन पवन पानी, रहे धरती के ये गहने।
इन्हें अपना बना डालो, मेरे भाई मेरी बहनें।
ये ही भगवान धरती के , सभी को ही बता डालो।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
यहां सोने की बरखा हो, यहां चांदी की बरखा हो।
धरा धनधान्य हो जाये, यहाँ कोई न कड़का हो।।
जलाकर दीप खुशियों के, धरा जगमग जगा डालो।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
न कोई शोक हो भारी, बिमारी हो न शंका हो।।
जला डालो भरी भारी, प्रदूषण की जो लंका हो।।
जले जल भी बड़ी गर्मी, बढ़ा संकट मिटा डालो।।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
मधुर आंगन में बहती गर, रहे पावन पवन सारी।
रहे दुनिया कहो इनको, “सरल” इनके ही आभारी।।
हवा लाखों करोड़ो की, इसे मन में बसा डालो।
लगाकर पेड़ धरती पर, धरा सुंदर बना डालो।।
-साहेबलाल दशरिये “सरल”