धरा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये.
धरा दिवस पर विशेष :-
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है हरी भरी धरा निराली .
बनी हुई सबमें मतवाली.
सजी है उसपर जीवन रंगौली .
रुपहले पर्दे पर छटा निराली.
कोई पड़ा है पीछे बन बुद्धिमानी.
हर जरूरत जीवन में पूरी करती .
पैदा कर भरण-पोषण साथ में .
खुद ही विघटन(अपने जैसा) करती ।
सब जीव श्रृंखला वो है रचती .
बस अहंकारी से वो है डरती .
किसी जीव-जगत भेद नहीं करती .
प्राण-रक्षा खातिर भावो से भरती .
रुकी है अपने सत् पर .
चलती जीवन के पथ पर .
अति होने पर वो कंपती है .
तूफानों को वो रचती है ।
कर्म और धर्म स्वभाव तुम्हारे .
पाप-पुण्य निज कृतार्थ तुम्हारे.
डॉ महेंद्र मेरे है प्यारे .
मेरी रचनाओं के साधक है वो न्यारे ।।
अर्थात प्रकृति प्रेमी !!
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डॉ महेंद्र