धरातल की दशा से मुंह मोड़
पूंजीपतियों का काकश
दिनोंदिन हो रहा मजबूत
उनके नाते ही नष्ट हो रहा
तमाम कानूनों का वजूद
शोषणकारी ताकतें कस
रही समाज पर शिकंजा
उनको कम पैसे में श्रमिक
चाहिए होशियार भला चंगा
पूंजीपतियों के लिए बिछा
रही हैं सब सरकारें कालीन
मेहनतकश मजदूरों के हक
के मुद्दों पे दिखतीं उदासीन
देश की मौजूदा आर्थिक दशा
के नाते रोजगार के मौके कम
बेरोज़गारी की स्थितियों को
लेकर सरकारों को नहीं गम
नेता अपनी पीठ थपथपा रहे
धरातल की दशा से मुंह मोड़
उनको चिंता बस यही कि कुर्सी
पे टिकने का वक्त मिले और
उड़ान हौसलों की तीव्रता का
सदा सर्वदा रहता है अनुगामी
देश के हालात बता रहे शीघ्र
आर्थिक क्षेत्र में आएगी सुनामी