धरती वंदना धरती वंदना
धरती वंदना
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भूत चमकत न्यारी ।
तेरे सारे पेड़ ये झूमें
हवा के शीतल झोंकों से
मन भी कंपित सा होकर
भरता पंछी बन उडारी ।
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भूत चमकत न्यारी ।
स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय
हवा में सारंगी के तार की लय
झूम जाना चाहता हूं खूद
बातें भूलकर मैं सारी ।
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भूत चमकत न्यारी ।
नैनों में एक दर्पण जैसे
हरियाली को खुद में समेटे
फू लों की सुगंध सांसों में भरके
झूम ये जाती है सारी ।
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भूत चमकत न्यारी ।