धरती दिल की बाँझ
धरती दिल की बाँझ
जीवन गुमसुम तन्हा तन्हा
घोर उदासी सांझ
बिना तुम्हारे सुना सब कुछ
धरती दिल की बांझ
बिन राधा के क्या है बृन्दावन
क्या कान्हा ब्रजधाम
श्री राधा रानी प्राण कृष्ण की
श्री को कान्हा आराम
बस कुछ ऐसे ही बिना तुम्हारे
सखी कहूँ क्या हाल
ये हारे थके विकल है मेरे नैना
सूना दिल का धाम
ये जीवन नैया भटक रही है
कोई नही है माँझ
बिना तुम्हारे सुना सब कुछ
धरती दिल की बांझ
तुम बिन ताल तलैया सूखे
सूने सारे पनघट आज
मन में पतझड़ का आलम
चुभते मन को राज
संग तेरे है जीवन जीवन
उन्स मेरा संसार
काँसे से भी सस्ते मुझको
राजमहल और ताज
खुशियाँ ही खुशियाँ महके
जीवन सुख के माझ
बिना तुम्हारे सुना सब कुछ
धरती दिल की बांझ
हाल बताऊँ क्या अपना अब
बिन राधा मैं घनश्याम
प्याले से कोई झलक गया हो
ऐसा गिरता इक जाम
बिना राधिका तुम बिन मेरा
सुना है ये सारा संसार
विरहित मन जपता रहता है
बस गौरी तेरा नाम
ऐसा विकल समझलो प्यारी
तन जैसे हो ख़ाझ
बिना तुम्हारे सुना सब कुछ
धरती दिल की बांझ