*धरती की आभा बढ़ी,, बूँदों से अभिषेक* (कुंडलिया)
धरती की आभा बढ़ी,, बूँदों से अभिषेक (कुंडलिया)
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धरती की आभा बढ़ी , बूँदों से अभिषेक
मौसम यह बरसात का , है लाखों में एक
है लाखों में एक , छटा मतवाली छाती
जहाँ देखिए मस्त , गीत हरियाली गाती
कहते रवि कविराय ,उदासी मन की हरती
करती नव – श्रंगार , नववधू जैसे धरती
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451