धरती का बस एक कोना दे दो
सुनो सरकारो!
सुनो सरदारो!
सुनो हुक्मरानो!
सुनो मुल्क के अधिपतियो!
पर्वत/ पठार/ समंदर ले लो
धरती का विस्तृत भूभाग ले लो
धन-ऐश्वर्य, मणि-माणिक्य, सोना ले लो
तख्त-ओ-ताज के ओ सौदागर!
हमें धरती का बस एक कोना दे दो
आपस में तुम बंदरबांट करो
सरहद भीतर सरहद बनाओ
उसकी सीमा तुम तोड़ो
तेरी सीमा वो तोड़े
मारो-काटो लड़ो-भिड़ो
एक दूजे पर टूट पड़ो
युद्ध का उद्घोष करो
धुआँ-धुआँ चहुंओर हो
हमें नरम दूब-बिछौना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
हम धरती की नदियाँ प्यारी
मीठे जल मेरे न रक्तिम करो
हम फूल हैं वसंत के
खिलते उपवन डाली-डाली
अपनी हिंसक प्रवृत्ति से तुम
सुगंध में मेरे न दुर्गंध भरो
तुम्हें मुबारक लाव-लश्कर, हथियार सारे
हमें खुशनुमा मौसम का दोना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
हम पंछी चुगते दाना खेत-खलिहानों से
पंख पसार बतियाते खूब
दौड़ते भागते बादलों से
सुनो बारूद के व्यापारी!
भरो न बारूद चोंच में मेरी
झुलसाओ न पंख अब और मेरे
हम तितलियाँ हैं सौ रंगों वाली
फूलों से है अपनी यारी
तुम रखो अपनी दुनिया काली-काली
हमें अपना संसार सलोना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
हम बच्चे हैं नन्हे-नन्हे
धमाकों से हम सहमते हैं
हँसते हैं हम न रोते हैं
आँखों में भय ही भय तैरते हैं
हमें हमारा हँसना-खिलखिलाना दे दो
सबसे प्यारा खिलौना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
दे दो, दे दो…
हमें दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
जहाँ नदी हो, झरने हों
फल-फूल और हरियाली हो
हवा सुहानी हो पानी मीठा
तितली, पंछी और बच्चों का हुलसना
धरती का वह एक कोना
जहाँ वर्जित हो तेरा आना
हो बस प्रेमियों का एक ठिकाना।
©️ रानी सिंह