धरती का प्यार
चाहे चाँद सूरज हो,चाहें जीवन मरण, नियमों से बंधा हुआ, ये सारा संसार है
मौसम बदलते हैं, रूप नये मिलते हैं ,कभी सावनी है छटा, कभी पतझार है
ये सरिता ये पर्वत, आसमान की ये छत, लगती ये कुदरत, एक चमत्कार है
धरा उपजाती अन्न , फल फूल भिन्न भिन्न, माँ की ही दुआओं जैसा , धरती का प्यार है
03-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद