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15 Jun 2022 · 1 min read

धरती और आसमां का मिलन

जमीं से आसमां के मिलन का एहसास तुमसे
है धन्य वह माता जिसे मिला नूरे सहवास तुमसे।

सुख-दुख के मध्य का एहसास है तुमसे
प्रकृति और पुरुष के बीच का एहसास भी तुमसे।

सूरज चांद के मध्य अंतर का एहसास भी तुमसे
हजारों मील लम्बे रास्ते है फिर भी
होगी मंजिलो की रोशनी तुमसे।

साहिल से साहिल तक कारवां गुजर गया
गर तुम न होते तो न होता मिलन उनसे।

नदी की धार काटती पतवार हो तुम
उठती, गिरती लहरों में मझधार हो तुम।

कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे
आशीषों का आंचल भरकर मिलन की राह देखते रहे।।

Language: Hindi
326 Views

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