धन
छंदबद्ध काव्य सृजन
प्रदत्त शब्द:
पैसा / दौलत ; ईश्वर / ख़ुदा ; इंसान/आदमी
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धन-दौलत आजकल बना धर्म ईमान इंसान,
जाति भेद संग्राम में क्यूँ बना मनुज हैवान।
सद कर्म ही पूजा सुनो कह गये पुरुष महान,
आडंबर पाखंड लिप्त तू भूला खुदा भगवान ।
नीलम शर्मा….✍️