धन धन बाबा गुरूनानक देव जी
भैण नानकी दा वीर लाडला
सारे जग दा है हरमन प्यारा
सिक्ख पंथ दा स्तंभ बनया
सिक्खी जग सरताज बनाया
माता तृप्ता दी सी कुखों जमया
पिता मेहता कालू लाड लड़ाया
सुलखनी संग सी लांवा लितियाँ
पुत्रां दा पयो बन,छडी घर माया
ननकाना साहिब जन्म स्थली
सारे जग नूँ नाम जाप जपाया
सुलतानपुर लोधी रहे वसया
लम्बा जीवन काल सी बिताया
रामदास,लहने,बाले,मरदाने संग
संसारिक उदासियां सी कितियां
जग ते बन के अवतार सी आया
लोकां नूँ सी सही राह विच पाया
मूर्ति पूजन दा विरोध किता सी
उपासना दा मार्ग अलग सुझाया
कवि बण शब्द वाणी लिखियां
जग चाणन ज्ञान प्रकाश कराया
लंगर प्रथा सी दी शुरुआत कराई
दीन दुखियाँ दा पेट अग्न बुझाई
अज्ञानियां च ज्ञान दी जोत जगाई
जीवन रब दे लेखे सी पार लगाया
जातपात,धर्म नालो कर्म सीखाया
सबना नूँ मानवता दा पाठ पढाया
तेरहां ही तेरहां दा जग नारा लाया
धन धन बाबा गुरुनानक कहाया
संगता दे रहनगे हमेशा मेले भरदे
रहन गुरूवां दे सदा गुरूपर्व मनदे
गुरूवां दी रवै दृष्टि जदो तक सृष्टि
रहेगा गुरूद्वारे लंगर भंडारा भरदा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत