धन ….. एक जरूरत
शीर्षक – धन
विधा – हिन्दी
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धन धन हम सभी की चाहत हैं।
सच और हकीकत आज यही हैं।
हम सबकी सुबह शाम धन से होती हैं।
मन और मोह माया में हम रहते हैं।
छल फरेब और स्वार्थ धन से होते हैं।
दोस्त और दोस्ती का महत्व होता हैं।
सच यही हम सबको धन का लोभ होता हैं।
हां हम सभी की जिंदगी अब धन के हाथ हैं।
मानवता रिश्ते नाते सच आज सब धन हैं।
चाहत और मोहब्बत में धन जरूरत हैं।
धैर्य और संयम धर्म-कर्म हम भूले हैं।
धन आज का सच और हकीकत हैं।
धन की सोच सही बस एक-दूसरे के सहयोगी हैं।
आओ हम सब धन के साथ इंसानियत समझते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र