विकलांगता : नहीं एक अभिशाप
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी।
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता
रामलला के विग्रह की जब, भव में प्राण प्रतिष्ठा होगी।
सुनो मुहब्बत जब नफरत में बदलती है......
काश तुम आती मेरी ख़्वाबों में,
रहगुज़र में चल दिखाता आइनें
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
वृद्धाश्रम में दौर, आखिरी किसको भाता (कुंडलिया)*
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
The darkness engulfed the night.
इस दुनिया में सबसे बड़ा और अच्छा इंसान वही है जो गरीब को गरी