*धन्य-धन्य हे दयानंद, जग तुमने आर्य बनाया (गीत)*
धन्य-धन्य हे दयानंद, जग तुमने आर्य बनाया (गीत)
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धन्य-धन्य हे दयानंद, जग तुमने आर्य बनाया
1
वेदों को आधार मानकर, सच की राह दिखाई
पाखंडों पर विजय-ध्वजा ऋषि, तुमने ही फहराई
निराकार ईश्वर का दर्शन, तुमने शुभ करवाया
2
अर्थ वेद के किए, धर्म का असली मर्म बताते
भारत की पूॅंजी अमूल्य, दुनिया के सम्मुख लाते
बिना तुम्हारे अंधकार था, सत्य-जगत में छाया
3
तुम गुजराती किंतु, राष्ट्रभाषा हिंदी अपनाई
राष्ट्रवाद की ज्योति देश में, तुमने सतत जलाई
चलन यज्ञ का घर-घर ऋषिवर, तुमने मधुर चलाया
4
कण-कण में प्रभु विद्यमान है, उसकी सत्ता जानो
यह तुमने ही कहा, देह से उसको जुड़ा न मानो
जन्म-मरण से परे ब्रह्म को, तुमने ही समझाया
धन्य-धन्य हे दयानंद, जग तुमने आर्य बनाया
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451