*धन्य-धन्य वे लोग हृदय में, जिनके सेवा-भाव है (गीत)*
धन्य-धन्य वे लोग हृदय में, जिनके सेवा-भाव है (गीत)
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धन्य-धन्य वे लोग हृदय में, जिनके सेवा-भाव है
1
कर्तव्यों से आपूरित, जिनकी शुभ पावन काया
सदा सर्वदा सुख ही जिनको, रहा बॉंटना आया
कष्टों को हरने का जग के, मन में जिनके चाव है
2
जिनके भीतर कपट और छल, क्षणभर कभी न पाए
औरों की संपत्ति देख जो, मन ही मन हर्षाए
रहते जैसे मंथर गति से, चली झील में नाव है
3
लेकर जन्म जगत में देखा, जिन्हें अहर्निश चलते
अंधकार से रहे जूझते, दीपक-जैसे जलते
कभी नहीं आया यात्रा में, जिनके कुछ ठहराव है
धन्य-धन्य वे लोग हृदय में जिनके सेवा-भाव है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451