*धन्यवाद*
“धन्यवाद”
शुक्रिया या धन्यवाद एक बहुत छोटा सा शब्द है लेकिन शुक्रिया अदा करने से शरीर में अंतरआत्मा में जो प्रबल शक्ति मिलती है वह किसी चमत्कार से कम नही होता है।
अगर यकीन न हो तो कुछ दिन जरूर आजमा कर देखियेगा।
चलिये सुबह उठते से ही हमें धन्यवाद देना है।
सर्वप्रथम जिसने हमें जीवन दिया है सुबह उठते से ही दोनों हाथ जोड़कर धन्यवाद दें ईश्वर को परमात्मा को कोटि कोटि धन्यवाद दें।
उसके बाद हमारा मन ,शरीर व सोचने समझने की जो शक्ति प्रदान की गई है अच्छे शरीर स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने के लिए उनका भी धन्यवाद दें ये तो हम भूल ही जाते हैं कि जो शरीर चौरासी लाख योनियों के बाद मानव जन्म मिलता है। जब हमें कोई दर्द या रोग कष्ट हो तब दर्द से कराहते रहते हैं ,जब किसी बात से दुःखी होते हैं तभी हम ईश्वर को पुकारते हैं उसकी याद करते हैं उसी प्रकार जब हम सुखद घड़ी में भी ईश्वर को याद करें उनका नित्य प्रतिदिन सुबह शाम रात्रि को धन्यवाद करते रहे।
इससे आत्मा की शक्ति प्रबल हो जाती है। इसलिए हमेशा चित्त वृत्ति में ईश्वर का ध्यान रहना चाहिए।
सारे दिन हमें बहुत से लोगों से मुलाकात होती रहती है।एक दूसरे के साथ शिकवे शिकायतें भी रहती है।घर परिवार में भी मान संम्मान आदर भाव देते हैं छोटों को स्नेहिल स्नेह करते हैं। सभी लोगों से मिलकर जो प्रेम वात्सल्य करुणा उदारता जागृत होती है।मान सम्मान आदर भाव मिलता रहता है उन सभी परिवार वाले और जो भी प्रेम से मिलते हैं व्यवहार करते हैं उनका भी तहे दिल से धन्यवाद करना चाहिए।शिकवे शिकायते तो हमेशा ही रहती है ये तो आदत में शामिल होती है लेकिन उन सभी को नजरअंदाज कर अंतर्मन से धन्यवाद दें इससे भी आत्मा की शक्ति प्रबल होती है।
हम प्रकृति से भी शुद्ध हवाएँ लेते हैं प्रकृति हमें जीने के लिए बहुत कुछ देती है लेकिन प्राकृतिक आपदा से भी हम घबरा जाते हैं कभी आंधी तूफान या भारी बारिश सर्द हवाओं में भी परेशान हो जाते हैं शिकायते तो सभी से रहती है लेकिन जब सभी चीजें अच्छी होती है तो हम आनंद लेते हैं और जब कुछ बुरा प्रभाव पड़ता है तो ढेर सारी दुनिया भर की बातें करते हैं शिकायतों को लेकर बैठ जाते हैं।
प्रकृति हमें फूल फल शुद्ध हवाओं के प्राण वायु देती है तो हमें प्रकृति का भी धन्यवाद करना चाहिए।
अब बारी आती है जो हमें जीवन में तंग करते हैं हमारी गलतियां ढूढ़ते है हर कार्य में कमियाँ निकालते हैं हमेशा बुरा सोचते हैं अंहकार करते हैं अपनी तारीफ करते हैं।
उन सभी व्यक्तियों का भी धन्यवाद करते रहें ताकि उनके द्वारा दी गई वो सारी बातों को सुधारने का मौका मिल सके।
वो कहावत चरितार्थ है निंदक नियरे रखिये आँगन कुटी छबाय बिन पानी ,साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय
अर्थात निंदा करने वाले को हमेशा अपने पास में ही रखें।उनका धन्यवाद करते रहना चाहिए।
जहां झुकना पड़े वहां झुक जायें अहंकार घटता है तो शक्ति बढ़ती है और आत्मा खुश हो जाती है।जीवन में कोई बात को हम जब काटते हैं नजरअंदाज कर देते हैं तब शरीर में शक्ति बढ़ते जाती है और धन्यवाद करते रहने से सामने वाला व्यक्ति भी प्रभावित होता है।
उसे भी कोई सीख मिलती है लेकिन ये जरूरी नहीं होता है हम बोलकर ही धन्यवाद दें दूर बैठे व्यक्ति को भी हम अंतर्मन से धन्यवाद देते हैं तो उन तक पहुँच ही जाती है।
ये सारी बातें हमें एक दूसरे को समझा मन को सिखाना है।अगर कोई जीवन में अच्छा कार्य किया या जिस चीज की आपको जरूरत थी उस व्यक्ति ने उस चीज को हमें प्रदान किया तो तहे दिल से उसका धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए।
सारा दिन हम कितने लोगों से काम लेते हैं कोई हमारा काम बिना कहे कर देता है जिसकी हमें बेहद जरूरत होती है और वह बिना बोले ही चुपचाप से हमारा कार्य तुरन्त कर देता है मन मुताबिक कार्य हो जाने से उस बात से खुशी मिलती है तो हमें धन्यवाद जरूर करना चाहिए।
जीवन में न जाने कितनी कठिन परिस्थितियों से गुजरते हैं परेशानी झेलते हुए जीवन बिताते हैं।मन कभी कभी अशांत हो जाता है। ऐसी स्थिति में कुछ समझ नही आता है तब ऐसे में हमें यह ध्यान रखना चाहिए ऐसी परिस्थिति में हमारी सोच व्यवहार ऐसा हो जो दूसरे के प्रति किसी भी वक्त कार्य सफल होने पर सभी के प्रति आभार प्रकट करें धन्यवाद दें।
इससे सारा दिन हमारे शरीर में शक्ति जागृत हो जाती है ऊर्जा मिलती है आत्मा में शांति सुकून मिलता है कि हमने कुछ अच्छा कार्य किया है उसके बदले में हमें रिवार्ड प्राप्त हुआ है।
जीवन में हम ऐसा संकल्प लें कि प्रतिदिन उन सभी लोगों का धन्यवाद करते रहेंगे।
जैसा हम संकल्प लेंगे वैसे ही सोच विचार करते रहने से कार्य सिद्ध होते जायेंगे।
सोच भी शुद्ध विचारों से प्रगट होकर आत्मा अंतर्मन सभी शुद्ध हो जायेंगे मन एकदम शांत चित्त वाला हो जाएगा।
सुबह से शाम ,शाम से रात्रि विश्राम करने से पहले तक सभी का धन्यवाद करके ही सोये सोने से पहले भी पूरे दिन के लिए ईश्वर का धन्यवाद करें।
धन्यवाद करते रहने से शरीर में एक अद्भुत शक्ति प्रबल होती जाएगी इसका चमत्कार आप स्वयं खुद आजमा सकते हैं।
🙏 धन्यवाद …..
जय श्री कृष्णा जय श्री राधेय
शशिकला व्यास✍