धन्यवाद कोरोना
“धन्यवाद कोरोना”
दिन रात कमाने में बेआराम दौड़ रही थी ज़िन्दगी
कि अचानक कोरोना आ गया…..
इसके अदृश्य भयावह रूप से धरा पर हर जगह डर छा गया..
कोरोना से बचाने को लगा लॉकडाउन
परिंदों के कैद में रहने का दर्द समझा गया……
जो रूका घर पर तो स्वयं से मिलने का अवसर मिला
रिश्तों मे जो खो सा गया था; वो प्यार लौट आया,
धन्यवाद कोरोना तु रिश्तों में अपनापन जगा गया….
अगर कोरोना ना आता……
मै आसमान को कभी इतना नीला ना देख पाता,
सूरज को इतनी सफेद धूप बिखेरते ना देख पाता,
चन्द्रमा को इतना श्वेत, तारों को इतना जगमग ना देख पाता,
हवा को इतना शीतल, सुगंधित ना अनुभव कर पाता,
नदियों के जल को इतना साफ, शुद्ध ना देख पाता,
जीवन में इतनी अथाह शाँति, आनन्द को ना अनुभव कर पाता,
अगर कोरोना ना आता, अगर कोरोना ना आता,
धन्यवाद कोरोना तु प्रकृति की सुन्दरता बढ़ा गया……
धन्यवाद कोरोना तु स्वच्छता,स्वस्थ जीवन का पाठ पढ़ाकर
जीवन का मूल्य समझा गया।।।।
सौरभ चौधरी
झालू-बिजनौर (उत्तर प्रदेश)