धनवानों के आगनमे
तू कभी अपनी मसती मे चूर नहीं हुआ ।तो जिऩदगी का दस्तूर नहीं हुआ।पीसा .तो गया तुझे बहुत ।पर चकनाचूर नही हुआ।बाधा गया कई बनधनो से ।फिर भी दूर न हुआ।नही समझ पाया जीवन का रहस्य इसलिए तो गरुर हुआ।। कैद हैं तेरी जिनदंगी ।धन बालों के आगन मे ।तू हार कर भी जी रहा है अपने आगन मे।अपना सब कुछ खो दिया है तूने .गिरवी है तेरी जिनदगी धनबानो के आगन मे।