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4 Oct 2024 · 1 min read

धधकती आग।

धधकती आग में भी ठंडक का वो दौर आता है।
कोई आज है चर्चे में तो कल कोई और आता है।
जहां है शोषण का समाज वहां भी शोर होता है।
कोई देखकर हर्षोल्लासित तो कोई भावविभोर होता है।
घटना घट जाने पर हर चीज पर गौर होता है
धधकती आग में भी ठंडक का वो दौर आता है।
कोई आज है चर्चे में तो कल कोई और आता है।
बसंत में डालो पर कोयल तो सावन में मोर भाता है।
गलत राह कुकर्मों में न कोई जोर होता है।
कोई नेक, न्याय के कार्यों में ही सराबोर रहता है।
बंजारा सा होकर घूमे कोई ठिकाना न ठौर रहता है।
हर रात के अंधेरे के बाद हमेशा भोर होता है।
धधकती आग में भी ठंडक का वो दौर आता है।
कोई आज है चर्चे में तो कल कोई और आता है।
RJ Anand Prajapati

Language: Hindi
1 Like · 18 Views
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