दग़ाबाज़ी,
इस तरह बात वो बनाने लगा,
बात कुछ खास वो छुपाने लगा,
कड़ककर पेश जब आया उससे,
कुछ देर में फिर सब बताने लगा,
जिसे अपना समझा दुश्मन निकला,
खैर कौन जहां में मन का निकला,
जिसने मेरा खौफ़ से कत्ल किया,
नाम मत पूछो वो अपना निकला,
इस तरह बात वो बनाने लगा,
बात कुछ खास वो छुपाने लगा,
कड़ककर पेश जब आया उससे,
कुछ देर में फिर सब बताने लगा,
जिसे अपना समझा दुश्मन निकला,
खैर कौन जहां में मन का निकला,
जिसने मेरा खौफ़ से कत्ल किया,
नाम मत पूछो वो अपना निकला,