द्वितीय ब्रह्मचारिणी
द्वितीय ब्रह्मचारिणी –
कोई जब पथ भूल जाये भटक यूं ही जाए मईया तू पथ बतलाए मईया तेरा नेह आशीर्वाद ।।
कोई जब पथ भ्रष्ट हो जाये कुछ समझ ना पाए मईया तू ही जप तप ध्यान जगाए मईया तेरा स्नेह आशीर्वाद।।
मईया ब्रह्म का अर्थ बताए तप मर्म दिखाए वेद तप ब्रह्म शब्द सत्य तथ्य बताए मईया तेरा स्नेह आशीर्वाद।।
कोई जब हताश निराश हो जाये तुझ्रे गोहराये तू भागी दौड़ी आये माईया तेरा स्नेह आशीर्वाद।।
आशा कि ज्योति जगाए पथ उजियार दिखाए मईया तेरा स्नेह आशीर्वाद।।
मईया ब्रह्मचारिणी ज्ञान ध्यान मर्म मार्ग दायनी तू ही जीवन शक्ति सत्य का सार बताये मईया तेरा स्नेह आशीर्वाद।।
मईया तेरा रूप रिझाये कर माला कमंडल सोहे तेज तेरा जग अंधियार मिटावे मईया तेरा स्नेह आशीर्वाद।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश।।