द्वन्द युद्ध
कर्ण और नयन
में हुई अनबन
किसका है ऊंचा स्थान
कौन आये ज्यादा काम
बोले कान, बिना हमारे
कहां आदमी का गुजारा
ऐनक से लेकर मास्क
तक हमारा ही है सहारा
हम पर टिके कर्णफूल
चेहरे की चमक बढ़ाते
घूंघट हो या नकाब
गिरने से बच जाते
सुन सुन जग के
सच और झूठ
सदा रहते मूक,
नहीं डालते फूट
उल्टी सीधी सुन
चाहे हम पक जाएं
मजाल है इधर की
उधर करके आएं
आंख करके टेढ़ी चितवन बोली,
श्रुतिपुट, बोलते हो कितना झूठ
चेहरे की शोभा तो तब बढ़ाओगे
जब चेहरे के दायरे में आओगे
तुम्हें रखा है किनारे और पीछे
ताकि पड़ो ना किसी के बीच में
कच्चा पक्का सुनकर
करते हो दिमाग का दही
कान का कच्चा कहलाये
इससे तो बहरे ही सही
गौर से देखो मुझे
ललाट के समीप सुशोभित
कवियों ने किन किन
उपमाओं से किया है सम्मानित
मृगनयनी से कमलनयनी
मीनाक्षी से नयनतारा
खुबसूरती के मापदंड
पर हक है सिर्फ हमारा
काजल, लाइनर, मस्कारा
सजावट का सामान सारा
हरी, नीली, भूरी और काली
आंखों ने कितनों को मारा
दुनिया का हर रंग,
हमसे ही तो है
रंग बदलती दुनिया
कितनी नशीली है
यहां विवाद घंटो चलता रहा
दिन अपनी गति से ढलता रहा
जब कोई सूरत नहीं हुआ फैसला
सोचा तीसरे की राय लेना ही भला
सड़क किनारे बैठा
था एक आदमी
सूरत से लगता
समझदार, ज्ञानी
बाबा एक समस्या का
समाधान चाहिए
कर्ण श्रेष्ठ कि नयन,
सच सच बताइए
तभी आवाज आई
एक नन्हे बालक की
ये बेचारे तो कर्ण
और नयन खो चुके
अपने पाप इसी
जन्म में धो चुके
मन की आवाज सुनते हैं
मन से प्रभु को देखते है
देखने सुनने के जंजाल से
परे हर घड़ी प्रसन्न रहते हैं
तुम भी घर जाओ
अब ये मसला निबटाओ
लड़ कर क्या आएगा हाथ
मिलजुलकर रहो साथ
चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)