द्रोपती की पुकार
द्रोपती कर रही पुकार। आकरमुझे छुड़ाओ यार। दोस्त के कब्जे से उसके जज्बे से। साड़ी में लिपटी है लाज हमार। द्रोपती कर रही पुकार आकर मुझे छोड़ आओ यार। जब तक करती रही इंतजार ।था लेकिन सिर झुकाए बैठे हैं पिया हमार। अब उठ चला है दुशासन आदेशभाई की पाकर ।छोड़ दी है आसन द्रोपती कैसे रहा निहार आ।कर मुझे खिलाओ यार अब टूट चला है विश्वास जब आया ना कोई पास। अब आंसू थी वह चली आधार आकर मुझे छोड़ आओ यार। बड़े-बड़े बलधारी बैठे सभा मझारी। ऐसी क्या लाचारी जो मुझे ना बचा पाए। द्रोपती कर रही पुकार