दौड़
कभी दौड़ा करता था मैं
तितलियों के पीछे पीछे
अब दौड़ रहा हूँ मैं
शब्दों के पीछे पीछे
यह शब्द ही जैसे
तितलियों के पर रूप हैं
और दौड़ना
मेरे जीवन का लक्ष्य
अन्तर बस
मेरी दौड़ में है
वह दौड़ थी
कुछ न पाकर भी
सब कुछ पाने के
एहसास दिलाने की दौड़
यह दौड़ है
सब कुछ पाकर भी
कुछ न पाने के
एहसास दिलाने की दौड़
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सरफ़राज़ अहमद “आसी”