दौलत
दौलत शोहरत और हम हैं।
सच और हकीकत कम है।
न चाहत न मोहब्बत दौलत है।
जिंदगी का एक मंथन लिखा है।
आधुनिक जमाने का सफर हैं।
दौलत ही तुम और मैं कहते हैं।
बस यकीन मानो या मानते हैं।
आज दौलत को सभी पूजते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र