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17 Oct 2024 · 1 min read

sp53 दौर गजब का आया देखो

sp53 दौर गजब का आया देखो
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दौर गजब का आया देखो यह भी गायब वो भी गायब
और सभी को भाया देखो यह भी गायब वो भी गायब

दो अर्थी जुमलो से सजता कविता का दरबार यहां पर
किससे अपनी पीर बताएं बस कबिरा की बानी गायब

गजब दौर आया है युग का गीत गजल चौपाई आहत
काव्य सृजन चल रहा निरंतर लेकिन सहज बयानी गायब

रिश्तो की हो गई दुर्दशा एकाकी परिवार बचे हैं
नाम का बस ननिहाल बचा है मामा नाना नानी गायब

गजब दुर्दशा लोकतंत्र की परिवारवाद हो रहा है हावी
राज पाट को कौन चलाएं राजा गायब रानी गायब

कहने को हम चतुर खिलाड़ी हार रहे हैं जीती बाजी
औरों का किरदार जी रहे अपनी राम कहानी गायब

माल आए अपनी अंटी में हो जिसका भी जैसे भी हो
सोच नहीं है सकारात्मक बस आंखों का पानी गायब

वंदे मातरम कहां खो गया लुप्त है अब भूषण की कविता
फिल्मी गाने सब सुनते हैं अब नगमे तूफानी गायब

पहले एक आवाज पे सारे अपने साथ खड़े होते थे
स्वार्थ जनित रिश्तो का युग है बस मन की नादानी गायब
@
डॉक्टर //इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
sp53

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