दौर ए हाजिर पर
दौरा ए हाज़िर पर…..
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दौर है नफ़रतो का …..
मुहब्बत को भुला बैठे हैं..
एक ही वतन है दोनो का
कहते थे सब है भाई भाई
क्या हिन्दू क्या मुसलमा
क्या सिख क्या इसाई…
अब
नफ़रातो की हवा को मिटाने के लिए
एक बारिश मुहब्बत की जुरुरी है…
वर्ना ये मुल्क झुलस
जाएगा
नफरतोकी आग में
.शबीनाZ shabinaZ
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