दौर-ए-गर्दिश है अपने घर रहिये
ग़ज़ल
दौर-ए-गर्दिश है अपने घर रहिये ।
दिल नहीं लग रहा मगर रहिये।।
दूर रहिये ज़रूर लोगों से।
हाल से सबके बा-ख़बर रहिये ।।
दुश्मने-ज़ां वबा है कोरोना।
बात डर की है पर निडर रहिये।।
सैर करिये न आप यूँ साहिब।
अब इधर रहिये या उधर रहिये।।
हाँ जरूरी हैं एहतियात भी कुछ ।
रखिए भी ध्यान अब जिधर रहिये।।
डस रही आपकी ये ख़ामोशी।
मौन रहिये नहीं मुखर रहिये।।
क्यों भटकते “अनीस” रहते हैं।
आप इस दिल में उम्र भर रहिये।।
– अनीस शाह “अनीस”
वबा=महामारी। दौर ए गर्दिश =बुरा वक़्त ।