दौड़ी आई
बांसुरी की धुन सुन राधा दौडी आई
यूँ न तुम सताया करो, राधा दौड़ाई
रूह और मन में तुम उनके बसे हो
मुझे तन- मन में अपने यूँ न बसाओ
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा
बांसुरी की धुन सुन राधा दौडी आई
यूँ न तुम सताया करो, राधा दौड़ाई
रूह और मन में तुम उनके बसे हो
मुझे तन- मन में अपने यूँ न बसाओ
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा